दोपहर की तपती धूप खिड़की से उसके चेहरे पर बरस रही थी । सामनेवाले टेबल पर रखी हुई कॉफी कब की ठंडी हो चुकी थी । उस कॉफी को नजरअंदाज करके रिया अखबार में फ्रन्ट पेज की न्यूज पढ़ रही थी । डरावनी कहानी के प्रसिद्ध लेखक कुमार शर्मा की मृत्यु उसकी आँखों पर उसका विश्वास ही नहीं हो पा रहा था । वो बार बार वही खबर पढ़ रही थी । उसकी दोस्त सेजल उसके पास आयी । रिया को ‘वो’ खबर पढ़ते देख वो बोली ।
“ये खबर क्यों पढ़ रही हो रिया?”
“अरे कुछ नहीं, बस ऐसे ही”
रिया सिर्फ इतना ही कह सकी । उस पर सेजल बोली ।
“मुझे पता है इस लड़के बारे में राइटिंग के दुनिया का उभरता सितारा था बड़ी अच्छी डरावनी कहानी लिखता था । लेकिन उसने आत्महत्या क्यू की मालूम नहीं, शहर के बाहर एक कुवे में उसकी लाश मिली, शायद लड़की का चक्कर होगा”
सेजल ने कहा तो रीया में उसकी तरफ गुस्से से देखा ।
“क्या हुआ कुछ गलत बोल गई क्या मैं?”
“नहीं कुछ नहीं जाने दो”
रिया ने कहा और वो वह से चली गई ।
अपने कमरे में आकर उसने दरवाजा बंद कर लिया । अखबार में फ्रन्ट पेज की वो खबर बार बार पढ़ रही थी ।
एक कामयाब लेखक की मृत्यु !
२९/०१/२०२२
कुमार शर्मा एक जाने माने लेखक जो की प्रेम कथा और डरावनी कहानी के लिए प्रसिद्ध थे आज सुबह उनका शव शहर के बाहर एक कुवे में मिला । जानकारों का कहना है की प्राथमिक अंदाज से यह एक आत्महत्या है ।
कुमार के शरीर पर किसी प्रकार की मारपीट के निशान नहीं थे । इसके अलावा उनके घरवालों ने भी मान लिया था के पिछले कुछ दिनों से कुमार डिप्रेशन का शिकार था । वो अपने ही दुनिया में खोया रहता था । एक बहुत ही बड़े मनोचिकित्सक के यहाँ कुमार की ट्रीट्मन्ट चल रही थी । घरवालों का किसी पर भी शक नहीं था खून होने की कोई संभावना नहीं थी ।
लेकिन कुछ दिनों से कुमार काफी सुर्खियों में थे । एक दो बार उन्हे किसी महिला की छेड़खानी के वजह से बहुतर मार पड़ी थी । फिर भी लेखन क्षेत्र में उनका काफी बड़ा नाम था ।
उनके ‘अधूरा सफर’ , ‘मायावी वैश्या’ , ‘जिस्म’ , और ‘ अनचाहा प्यार’ जैसे किताबों ने मार्केट में धूम मचा दी थी । एक छोटे से कार्यकाल में कुमार बेहद लोकप्रिय लेखक बन गए थे । कुमार अपने प्रेम कहानी तथा डरावनी कहानी के लिए पूरे देश पसंदीदा लेखक थे और रहेंगे । दैनिक भास्कर की तरफ से कुमार शर्मा जी को श्रद्धांजलि !
रिया जब ये खबर पढ़ रही थी तब तब उसके आँखों को इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था । खबर के साथ कुमार का एक फोटो भी था । उस फोटो के देखकर तो लग नहीं रहा था की कुमार आत्महत्या कर सकता है । जो खुद इतनी अच्छी डरावनी कहानी लिख सकता है उसकी ऐसी मयाऑउत कैसी हो सकती है ? रिया खुद से ही बातें कर रही थी । एक हवा का झोंका धीरे से उसकी झुलफ़ों से लहराते चल गया । उस हवा के झोंके से रिया सहम उठी । कोई अनजान शक्ति उसके कान में कुछ कह रही थी या फिर उसे ऐसा लग रहा था ।
“आत्महत्या क्यों की होगी कुमार ने?”
कितना अच्छा लिखता था । मैं तो हमेशा उसी की किताबें पढ़ती थी ।प्यार वाली कहानी तो अच्छी ही थी लेकिन डरावनी कहानि तो सबसे बेहतर होती थी । घरवाले बोल रहे थे की कुमार किसी मानसिक दबाव में था लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता । कुछ समझ में नहीं आ रहा । और ये दबी हुई आवाज उसी को तो नहीं? या शायद मुझे वहम हो रहा है ।
रिया खुद ही से बातें कर रही थी । उसी सोच में डूबे हुए उसने अपनी स्कूटी निकाली । रिया इस मामले के जड़ तक पहुँचना चाहती थी । उसने स्कूटी स्टार्ट की लेकिन दिमाग में अभी भी कुमार के बारे में कुछ बातें घूम रही थी । उसे उस suicide वाले कुवे का पता मालूम था । शहर से दूर था लेकिन स्कूटी से लगबग एक घंटा लग सकता था । उसी विचार में खोई हुई रिया ने एक ट्रैफिक सिग्नल भी तोड़ डाला । ट्राफिक पुलिस ने उसकी स्कूटी रास्ते के बाजू में लगाकर जुर्माना भरने को कहा । रिया के पास पैसे नहीं थे इसीलिए उसे सामने वाले पुलिस थाने ले जाया गया । एक बेंच पर उसे बिठाके वो पुलिस वह से चला गया । रिया को बताया गया की बड़े सब आएंगे तब वो तुम्हारा फैसला करेंगे । रिया को मजबूरन वही बैठना पड़ा । मोबाईल की बैटरी भी इसी वक्त खत्म हो गयी थी इसिकी वजह से रिया किसी को कॉल भी नहीं कर सकती थी ।
तभी बड़े साब याने इन्स्पेक्टर सूरज सिंह वहाँ आ जाते है । सूरज, रिया को पहचान लेता है । कुमार, रिया और सूरज एक साथ कॉलेज में पढ़ते थे । सूरज रिया को बहुत चाहता था लेकिन रिया को कुमार पसंद था ।
रिया के ना कहने के बाद भी सूरज उससे मुहब्बत करता रहा और कुमार को पता ही नहीं था की रिया उससे प्यार करती है । क्योंकी रिया ने कभी उससे बात करने की हिम्मत ही नहीं की । कॉलेज पूरा होने के बाद तीनों के रास्ते अलग हो गए । सूरज ने पढ़ाई जारी रख कर पुलिस बन गया तो रिया जॉब करने लगी । और कुमार को तो पहले से ही लेखक बनना था । बाद में वो एक बड़ा लेखक भी बन गया । एक अच्छे से डरावनी कहानी और प्रेम कहानी के लेखक होने के बावजूद वो अकेला ही था । लेकिन सूरज अभी रिया से प्यार करता था और रिया अभी भी कुमार को चाहती थी ।
“रिया ……!”|
सूरज ने पुकारा तब रिया अपने खयालों से बाहर आई ।
“सूरज तुम?”
“हाँ मैं इस थाने का इन चार्ज हूँ”
“………..”
रिया चुप चाप देखती रही ।
“तुम यहाँ कैसे?”
“वो.. मैंने सिग्नल तोड़ा और जुर्माने के पैसे भी मेरे पास नहीं थे इसलिए मुझे यहाँ लाया गया”
“लेकिन तुम कहाँ जा रही हो?”
सूरज को यह बात बताऊ या ना बताऊ इसी में रिया confused हो रही थी ।
“जाने दो मत बताओ, लेकिन तुम पहली बार मेरे थाने में आयी हो बोलो चाय लोगी या कुछ ठंडा मंगवाऊ?”
“मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे सिर्फ मेरी गाड़ी दे दो”
“ठीक है,’
सूरज ने उसकी गाड़ी मँगवा ली ।
रिया ने हिम्मत करके पूछा ।
“सूरज “
“हाँ बोलो रिया “
“कुमार की केस तुम्हारे हाथ में थी न?”
“हाँ रिया,”
इतने सालों बाद भी रिया कुमार को भूली नहीं यह जानकर सूरज को धक्का लगा लेकिन उसने अपने आप को संभाल लिया ।
“क्या वो सच में एक आत्महत्या थी?”
“अभि तक तो investigation चालू है लेकिन प्राथमिक अंदाज से तो यही लग रहा है”
“मुझे लगता है कुमार आत्महत्या नहीं कर सकता”
रिया ने अपनी राय सूरज के सामने रखी । सूरज मुस्कुराया ।
“मुझे मालूम है तुम्हें अभी भी कुमार के लिए वही जज़्बात है लेकिन मैं जो कह रहा हूँ वही सोच है”
“तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?”
“क्योंकी कुछ दिन पहले किसी लड़की ने छेड़खानी की रिपोर्ट थाने मे दर्ज करवाई थी उस समय मैं ही उस केस को देख रहा था । तभी शुरुवात में मुझे थोड़ा अजीब लगा की कुमार ऐसा काम कर सकता है लेकिन जब उसे थाने लाया गया तब मैंने देखा की वो अकेले ही कुछ बड़बड़ा रहा था पल में गुस्सा तो पल में पागलों की तरह हंस रहा था । डरावनी कहानी का लेखक होने के बाद भी वो बहुत डरा हुआ था । मैं उसे कॉलेज के दिनों से जानता था और उसके प्रति तुम्हारा लगाव भी मुझे मालूम था इसिलए मैंने कुछ ले-देकर ये मामला सुलझा दिया लेकिन उसके बाद भी कुमार के पागल पन के किस्से का खत्म नहीं हुए कभी मनोचिकत्सक के ट्रीट्मन्ट के दौरान भाग जाना, रास्ते पर नंगे पैर यूँही चलते रहना, मैंने तो यही भी सुना था की वो उस कुवे वाली जगह काफी बार जा चुका है । एक रात को उसी रास्ते से हमारा एक हवालदार राठोड जी जा रहा थे उन्होंने देखा की कुमार अकेले ही कुछ बातें कर रहा है जब हवालदार ने उससे पूछा तो एकदम चुप हो गया । बाद में राठोड जी ने उसे घर छोड़ दिया लेकिन कुछ दिनों बाद कुमार ने उसी कुवे में कूदकर अपनी जान दे दी ”

रिया फिर भी इस बात से संतुष्ट नहीं थी । शाम होने को आयी थी । उसने सोचा के घर जाती हूँ कुमार के डरावनी कहानी का किस्सा कल सुबह देखूँगी ।
“चल मैं अब बहुत देर हो गयी है मैं अब घर जाती हूँ”
“चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ”
“थैंक्स लेकिन उसकी जरूरत नहि मैं अकेले जा सकती हूँ, जाते जाते मेरे एक सवाल का जवाब देना”
“पूछो”
“इतने सालों बाद भी मेरी कुमार के लिए चाहत अभी भी वैसी ही है ये जानकर तुम्हें दुख नहीं हुआ?”
सूरज फिर मुस्कुराया ।
“नहीं बिल्कुल नहीं, इतने सालों बाद भी मेरी चाहत तुम्हारे लिए जरा सी भी कम नहीं हुई और फिर भी तुम मुझे मिल नहीं सकती तो मैं तुम्हारी भावना समझ सकता हूँ “
रिया ने कुछ नहीं कहा । उसने गाड़ी निकाली और वहाँ से चली गयी ।
सूरज उसके तरफ देखता रहा ।
रिया अब स्कूटी चला रही थी लेकिन मन में सूरज की बात चल रही थी ।
कुमार जैसा हसता खेलता हुआ जवान लड़का ऐसे अचानक से कैसे डिप्रेशन में जा सकता है उसका मन यह बात मानने को तैयार ही नहीं हो रहा था । वो अपने ही धुन में गाड़ी चला रही थी । एक बड़े से गाड़ी की हॉर्न से वो इस खयाल से बाहर आयी । अचानक से उसे याद आया की वो तो घर के लिए निकली थी । तो फिर इस सुनसान रास्ते पर कैसे पहुची ? उसे वो रास्ता पता था । थोड़े ही दूरी पर ‘वो’ कुवा था । रिया अब हैरान हो गई उसके सामने दो रास्ते थे एक तो घर जाए या फिर कुमार को असल में क्या हुआ था इसका पता लगाया जाए । उसने दूसरा रास्ता चुना । डरावनी कहानी का ! मानो कोई उसे अपने और खिच रहा हो । सब अपने आप हो रहा था । रिया चुपचाप उस कुवे के और जाने लगी । जब वो कुवे के पास आयी तब उसे महसूस हुआ की पीछे कोई है । उसने मूड के देखा तो कुमार खड़ा था । वो कुवे की और देख रहा था । वो आया उसने एक चिट्ठी कुवे के पास वाले एक बड़े पत्थर के नीचे रख दी । कुछ देर वो वही खड़ा रहा और उसने कुवे में कूद गया । रिया जोर से चिल्लाई । उसने भागकर कुवे में जाकर देखा सब शांत था । उसे मालूम हुआ की सब वहम है । वो कमजोर दिल वाली नहीं थी । सबसे पहले उसने खुद को शांत किया और सभी घटनाओ का ठंडे दिमाग से सोचने लगी उसे लगा की कुमार उसे कुछ कहना चाहता हो ।
सबसे पहले वो उसी बड़े पत्थर पर बैठ गई ताकि शांति से कुछ सोच सके ।
इधर पुलिस थाने में सूरज का मोबाईल बजा । जैसे ही सुरज ने मोबाईल पर किसी से बात की वैसे ही सूरज चिल्ला उठा ।
“क्या ……? तुमने उसे रोका क्यू नहीं ?”
कुछ देर बात करने के बाद सूरज ने मोबाईल रखा कांबले को पुकारकर बोला ।
“कांबले अभी जो लड़की आयी थी ना वो मेरी दोस्त है उसको अभी अपने एक कांस्टेबल शिंदे ने उसी रास्ते पर देखा जिस रास्ते में वो कुवा आता है”
“वही जहा पर उस लेखक कुमार ने suicide किया था?”
“हाँ मैं अभी वही जा रहा हूँ, लेकिन मुझे अभी पहुचने में आधा घंटा लगेगा पास वाले थाने को इन्फॉर्म कर दो अगर कोई ड्यूटी पर है तो उसे कुवे के पास भेजो’
“लेकिन साब शिंदे ने उस लड़की को रोका क्यू नहीं?”
“वो बोल रहा था की वो रिया को आवाज दे रहा था लेकिन रिया ने उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया और …..”
“ और क्या सर?”
“उसकी फट रही थी उस रास्ते में रुक कर रिया के पीछे जाने के लिए”
“फ़ट्टू साला एक लड़की उधर जाने के लिए नहीं घबराई और ये एक पुलिसवाला होकर भी घबरा रहा है”
“छोड़ो अभी मैंने जो कहा है उसे करो मैं जाकर आता हूँ”
“ठीक है सिर”
सूरज ने अपनी बाइक निकाली और तेजी से उस कुवे के रास्ते के लिए निकला ।
रिया अब काफी संभल चुकी थी उसका दिमाग अब तेजी से सोचने लगा ।
वो जिस पत्थर पर बैठी थी उसी पत्थर के नीचे उसे कुछ दिखा ।
उस पत्थर के नीचे एक चिट्ठी थी । कुछ देर पहले उसके वहम में उसने देखा था की खुद कुमार ने वो चिट्ठी वहाँ रखी थी इसका मतलब कुमार सच में मुझसे कुछ कहना चाहता है ।
उसने वो चिट्ठी उठाई तब उसने देखा की उस कुवे के पास बहुत सारे चप्पल, जूते और संडल्स गिरी पड़ी थी । काफी रहस्यमयी जगह थी । लेकिन रिया को अब वो चिट्ठी पढ़ने थी उसने उस चपलो को जान बूझकर नजर अंदाज किया ।
चिट्ठी के ऊपर कुमार शर्मा लिखा हुआ था । यह शायद suicide note हो सकती है या फिर कुमार के अंदर की फीलिंगस कुछ भी हो सकता है । इस चिट्ठी से कुमार के मौत का राज सुलझने वाला था । रिया की आँखें अब कुमार के लिखे हुए शब्दों को पढ़ रही थी ।
अगर कोई यह चिट्ठी पढ़ रहा है तो जितना हो सके उतने जल्दी इस जगह से चला जाए …………….
(ऐसा लग रहा था की कोई कुमार को यह चिट्ठी लिखने से रोक रहा था ) रिया आगे पढ़ने लगी ।
ऐसा कहते की अगर प्यार का भूत तुम पर सवार हो जाए तो उसे उतारना नामुमकिन हो जाता है । और मैंने तो असली भूत से इश्क करने की गुस्ताखी कर दी । मैं कोई डिप्रेशन में नहीं था और ना ही मैं पागल था । मैं सिर्फ इन भूतों का गुलाम बन गया था । वो हर वक्त मेरे दिमाग से खेल रहे थे । वही भूत मेरे दिमाग में रहकर मेरी आँखों से दुनिया देख रहे थे । वह कब मेरे ज़िंदगी में हावी हो गए मुझे ही पता न चला । डरावनी कहानी लिखते लिखते मेरी ज़िंदगी कब बदल गयी ये मैं भी नहीं जानता । ये सब शुरू हुआ इस जगह पर आने के बाद! मैं इस कुवे के बारे में ज्यादा नहीं कह सकता क्यूंकी मेरे हाथ कांपने लगते है मानो कोई मुझे यह रहस्य खोलने से रोक रहा हो । मैं किसी को इस जगह के बारे में नहीं बता सकता क्योंकी मेरे हाथ से सब बाहर हो गया है । वैसे तो मैंने बहुत सारी कहानिया लिखी है लेकिन लगता है यह मेरी लिखी हुई कहानी है मेरे खुद की आखरी डरावनी कहानी ! ।
वैसे तो मैंने पब्लिसिटी के लिए कभी लिखा ही नहीं । मैं जो भी लिखता था खुद के लिए लेकिन धीरे धीरे लोगों को मेरी कहानिया पसंद आने लगी । सबसे पहली बार मैंने एक अनोखी प्रेमकहानी लिखी । ‘अधूरा इश्क’ और उसके बाद मैंने पलट के नहीं देखा । इसी एक किताब से मैं सफलता शिखर तक पहुच गया । उसके बाद मैंने डरावनी कहानिया लिखना शुरू किया शुरुवात तो मजे से की थी लेकिन बाद में इसका रोमांच बढ़ता गया । डरावनी कहानिया लिखते वक्त मैं उस पात्रों में इतना खो जाता की उन भूतों को सच मान बैठने लगा । मैं उन कहानी में इतना डूब गया की वो सारे भूत मुझे मेरे आस पास मंडराते दिखने लगे । किसी रात मैं जब नींद से जागता तब यही भूत मेरे पंखे से लटककर मेरी तरफ देख रहे है ऐसा मुझे हमेशा महसूस होता । न जाने कितनी रातें मैंने ऐसे ही बिना सोये बितायी । मेरी किताब पढ़ने वाले को रोमचित महसूस होता था लेकिन मुझ पर क्या बितती थी यह सिर्फ मैं ही जानता हूँ । मैंने अब तक कई सारी किताबे लिखी थी वैसे तो मुझे एक किताब लिखने के लिए कम से कम ३ महीने तो लगते थे । ऐसे ही में एक दिन मैं अपनी गाड़ी से कही पर जा रहा था तभी मैंने एक पुराना सा कुवा देखा । मैंने कई सारी अफवाये सुनी थी की यहाँ पर बहुत आत्महत्या हुई है । मैं वहाँ से निकल आया लेकिन शाम को पता नहीं दिल में एक अजीब सी बैचेनी होने लगि । मुझे लगा मेरे नई किताब के लिए उस कुवे की कहानी बेहतर होगी । रात हो चुकी थी मेरे मन से अभी भी उस कुए का खयाल नहीं जा रहा था । उसके बारे में सोचते हुवे ही मेरी आँख लग गई । कुछ देर मैंने पायल की आवाज सुनी तो मेरी नींद खुल गई । मैंने देखा की एक अप्सरा से भी सुंदर लड़की मेरे बिस्तर के बाजू में बैठी हुई थी । उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे पास आकर बोली ।
“तुम्हें उस कुवे की कहानी जाननी है ना?”
मैंने सिर्फ अपना सिर हिलाया क्योंकी मैं उस लड़की के मोहिनी से सब कुछ भूल गया था ।
वो मेरे और पास आई और मेरे कान में कुवे की कहानी कहने लगी । उसका मेरा इतने पास आना मुझे पूरी तरह से रोमांचित कर गया ।
अगली दिन सुबह ही मैंने कहानी लिखने को शुरुवात कर दी । जैसे उस लड़की ने कहा था वैसे ही एकदम डरावनी कहानी !
अगले १५ दिन मैं सिर्फ अपने कमरे में कहानी लिखता रहा । सिर्फ खाना खाने के लिए ही मैं अपने रूम से बाहर निकलता । हर रात को वो लड़की मेरे बिस्तर पर आती और कहानी का अगला किस्सा मुझे सुनाती । उसने अपना नाम कामिनी बताया था । १५ दिनों बाद मेरी कहानी लिखकर पूरी हुई उसी दिन मैं अपने पब्लिशर के पास गया । कहानी की स्क्रिप्ट सुनाई और पहले १० मिनट में ही उसे कहानी इतनी पसंद आयी की उसने मुझे ५ लाख का चेक देकर स्क्रिप्ट को किताब के तौर पर प्रिन्ट करने के लिए भेज दिया । किताब का नाम हमने रखा ‘मायावी वैश्या’ । उस दिन से हर रात कामिनी मेरे बिस्तर पर आती मुझसे प्यार भारी बातें करती और फिर चली जाती । ऐसा बहुत दिनों तक चला रहा । लेकिन इसी दौरान मेरे घरवालों को भनक लगी की मैं अकेले ही बड़बड़ाता रहता हूँ । उन्होंने मुझे डॉक्टर को दिखाया, मांत्रिक से टोने टोटके करवाए लेकिन मुझ पर कोई असर नहीं हुआ उलटा जो कामिनी सिर्फ रात को आती थी अब वो दिन में भी आने लगी कभी सोफ़े पर लेट के बेहद ही मादक अदाओसे मुझे इशारे करती या फिर मैं जब बाथरूम में नहाने के लिए जाता तो वो पहले से ही वहाँ पर मौजूद रहती । कामिनी मुझे रोमांचित करने का मौका कभी नहीं छोड़ती । अब मैं भी उसके प्यार में बहकने लगा । अगर वो मुझे कुछ समय के लिए न दिखे तो मैं गुस्सा होता । सोफ़े के नीचे, पलंग के नीचे उसे ढूँढने की कोशिश करता । उसकी वो मादक नजर, बोलते वक्त होंटों की पंकुडी की नाजुक से फुसफुसाना मुझे अब पसंद आने लगा था । लेकिन घरवाले मेरी इस हरकत से और परेशानी में आने लगे क्योंकी दिक्कत ये थी की कामिनी सिर्फ मुझे दिखाई देती थी । घरवालों में मुझे अस्पताल भर्ती करवाया, एक मनोचिकीत्सक से मेरा इलाज शुरू करवाया लेकिन कामिनी मुझे वहाँ भी मिलने आती थी । कुछ महीनों बाद मेरी किताब पब्लिश हुई और उसने बाकी सारे किताबों के सारे रिकार्ड तोड़ दिए । सिर्फ एक ही हफ्ते में सारी कॉपीज बिक गयी । मैं मानो अब अलग ही आसमान में था । डरावनी कहानी को मैंने एक अलग स्तर पर पहुचा दिया था ।
उस दिन से कामिनी का मेरे घर आना कम हो गया था । वो सिर्फ रात को आती कुछ देर बैठी रहती थी और फिर बिना बात किए निकल जाती । फिर कुछ दिनों बाद उसका आना एकदम से कम हो गया । मुझे तो अब उसकी आदत लग गई थी । मेरा चिड़चिड़ा पन बढ़ गया । मैं घर के सारी चीजे यहाँ वहाँ फेकने लगा । मेरे सारे दोस्त मुझे पागल कहने लगे । मुझे लोगों से कुछ लेना देना नहीं था ।
एक दिन कामिनी का रात को आना भी बंद हो गया मैं उस चीज से सहम गया । मुझे उसकी आदत हो गयी थी । उसका मादक शरीर, मेरी तरफ देखकर प्यार से इशारे करना मुझे बहुत याद आने लगा । मेरे जिस्म की भूक मुझे तड़पा रही थी । ऐसे मैं ही कुछ दिन बित गए । मैं अपनी ही किताब के कुछ समीक्षा देख रहा था । शाम का समय था अचानक से तेजी से हवा चलने लगी मेरे कान में किसी के फुसफुसाने की आवाज आयी । मैंने आवाज पहचान ली । वो कामिनी थी । मैं जल्दी से अपने बिस्तर से उठा और उस आवाज का पीछा करने लगा । मालूम नहीं मैं कितनी देर तक पीछा करता रहा लेकिन जब मुझे होश आया तब मैं हैरान रह गया । मैं उसी कुवे के पास खड़ा था और थोड़ी दूर मेरी कामिनी जी हाँ मेरी कामिनी उस कुवे के एकदम नजदीक खड़ी थी वो मेरी तरफ देख रही थी । मेरा सब्र का बंद टूट गया और मैं उसके पास जाने लगा । इतने में ही वो कुवे में कूद गयी । मैं घबरा ह्या मैंने भागकर कुवे के पास् जाकर देखा तो कामिनी पानी में तैर रही थी । उसके पारदर्शी साड़ी से उसका यौवन साफ झलक रहा था । और इसी वजह से वो और भी सुंदर दिख रही थी । उसे देखते ही मेरे मन में कामवासना का ज्वालामुखी फटने लगा । अभी के अभी उसे अपनी बाहों में ओढ़कर उसकी सुंदरता का रसपान करने को जी चाह रहा था । कामिनी मेरी और देखकर कुछ इशारे कर रही थी । मैं उस कुवे में झुककर देखने लगा । वो मुझे अपने पास बुला रही थी । मैं न जाने अपने आप कुवे की दीवार पर खड़ा हो गया । मैं अब कूदने ही वाला था तभी मेरे मोबाईल की रिंगटोन बजी । बड़ी जोर से मेरे मोबाईल से महा मृत्युंजय मंत्र की रिंगटोन बजने लगी ।मुझे याद आया मुझे तो तैरना आता ही नही । मैं जल्दी से उस दीवार से उतर गया । माँ का कॉल था ! उस वक्त माँ ने मुझे बचा लिया । मैं भागने लगा मुझे जल्द से जल्द उस जगह से दूर जाना था मेरा नसीब अच्छा था की उसी रास्ते से पुलिस की गाड़ी जा रही थी उन्होंने मुझे लिफ्ट दी । मैं घर पहुच गया । मुझे तेज बुखार था डर के मारे मेरे मुह से आवाज ही नहीं निकल रही थी । माँ मेरे सिरहाने रात भर बैठी रही ।
उस दिन से मेरा बाहर जाना एकदम बंद हो गया अगर मैं कही बाहर जाता तो मेरे साथ हमेशा कोई न कोई घर का आदमी रहता । इस बंदिशों से मैं परेशान हो गया । मेरे आँख से कामिनी का वो यौवन हट नहीं रहा था । उसका वो भीगा जिस्म मेरे जिस्म की आग को और भड़का रहा था । अब तो सपने में भी कामिनी आती थी मुझे ललचाती थी । मेरे साथ वो सब करती थी जो एक प्रेमिका अपने प्रेमी के साथ करती है । बिना कपड़ों के उसका मेरे सपने में आना मुझे बेबस और बैचेन कर देता । एक दो बार तो सुबह जब मैं उठके देखता तो मेरा बिस्तर पूरा गीला हो जाता ।
बाहर की दुनिया तो मानो मेरे लिए बनी ही नहीं थी । मेरी पहले ही बहुत बदनामी हो गयी थी । मीडिया वाले घर पर आते थे मेरा मजाक उड़ते मेरे दोस्त भी मुझे देखकर हसते थे । इसकी वजह से जो पब्लिशर मेरे किताब के लिए मेरे कहानी के लिए मेरे घर के बाहर घंटों खड़े रहते थे वो मेरे कॉल भी रीसीव नहीं कर रहे थे ।
जिसके वजह से मेरी इतनी बदनामी हुई, मेरा करिअर खत्म हो गया उसी को इस का जवाब मांगने के लिए रात को सब की नजर चुराकर घर से उस जानलेवा कुवे के पास गया । कामिनी जैसे मेरे स्वागत के लिए ही वहाँ खड़ी थी । लेकिन इस बार उसके शरीर पर साड़ी भी नहीं थी । अजिंठा के प्राचीन शिल्पों जैसे वो अपनी बाहें फैलाकर खड़ी थी । मैं अब पीछे नहीं जा सकता था । क्योंकी उस दुनिया में मैं पागल था इस दुनिया में सिर्फ कामिनी का था । यहाँ पर मुझे वो मिलने वाली थी । उसके बदन की खुशबू, वो रोमांचित करने वाला स्पर्श, ये सब सच था या फिर बाहर वाली दुनिया जहाँ पर मैं पागल था लेकिन एक कामयाब लेखक था ।
फैसला करना ज्यादा मुश्किल नहीं था । यह मेरा ज़िंदगी का आखरी मकाम होगा । मेरी मौत ही कामिनी को हासिल करने का एकमात्र जरिया होगा । इतना ही कहना है । यही मेरी कहानी है ।
शायद ये चिट्ठी किसी को मिले न मिले पर इस जगह से जितना दूर हो सके उतना दूर रहो ………..
-कुमार

रिया की आँखें पानी से भर गई थी । कितनी मुश्किलों से गुजर रहा था कुमार । एक साथ वो दुनिया जी रहा था । वो लेकिन सच कह रहा था इस जगह में कुछ तो अजीब है । रिया की नजर आजू बाजू घूमने लगी । एक आवाज रिया के कानों में फुसफुसाने लगी । एक आवाज जो दिल के कोने में छिपा हुआ था ।
“कुमार की आवाज?”
रिया उस जगह उठकर खड़ी हो गयी । वो आवाज कहा से आ रही ही ढूँढने लगी । रिया ने कुवे में झुककर देखा । कुमार तैर रहा था । रिया कुवे की दीवार पर खड़ी हो गयी ।
‘मैंने अपनी ज़िंदगी जी ली है, जिसकी चाह लेकर मैं ज़िंदगी भर जीती रही आज उसी के बाहों में मुझे जाना होगा, आज मेरा प्यार मुकम्मल होने वाला है, कुमार मैं आ रही हूँ’
वो अब कूदने ही वाली ही थी तभी उसके दिमाग में अजीब से सनक आई उसे होश आया उसे भी तैरना नहीं आता था, ‘कितना बड़ा पागल पन आज मैं करने वाली थी’
‘कुमार की डरावनी कहानी सच नहीं हो सकती । जो प्यार अब इस दुनिया में नहीं उसे पाने लिए मैं क्यों कुर्बानी दू, जिसने कभी मेरे प्यार की कदर नहीं की उसके बारे में मैं क्यों सोचू ?
सूरज अब तक बाइक से उस जगह पहुच गया था । उसने रास्ते के साइड में बाइक लगा दी । वह से कुवा लगभग २०० मीटर की दूरी पर था । अब तो पुलिस की व्हॅन भी पहुच चुकी थी । २ महिला पुलिस सूरज के पीछे पीछे उस कुवे की तरफ आ रही थी । सूरज ने देखा रिया कुवे की दीवार पर चढ़ी थी और कुवे के नीचे के तरफ देख रही थी । सूरज यह देखते ही घबरा गया । उसने जोर से रिया को आवाज दि ।
“रिया!”
रिया ने मुड़कर देखा । उसकी आँखों में खुशी के आँसू झलकने लगी । उसको सूरज की कही हुई बातें याद आने लगी ।
“इतने सालों बाद भी तुम्हारे लिए मेरी चाहत कम नहीं हुई है”
उसे महसूस हुआ जो सूरज करता है वही प्यार है । शायद सच्चा प्यार इसी ही कहते है ।
‘मैं आ रही हूँ सूरज”
रिया ने जोर से कहा और वह से उतरने लगी । तभी कुवे से बाहर एक बड़ा सा हाथ आया उसने रिया का हाथ पकड़कर उसे अंदर खिच लिया ।
सूरज जोर से चिल्लाया । लेकिन शायद अब देर हो हई थी । वो अभी भी कुवे से दूर था ।
रिया के नाक में पानी जा रहा था वो ऊपर आने के लिए तड़प रही थी । पानी जोरों से हिल रहा था । रिया का शरीर अब शांत होने लग गया था । रिया ने आखरी बार ऊपर देखा सूरज अब वहाँ पहुचने ही वाला था । धीरे धीरे रिया का बदन कुवे के नीचली स्तर तक जाने लगा । कुछ छोटे अमानवीय आकृतिया उसके मृत शव के इर्द गिर्द घूम रहे थे । रिया का शव आखिरकार कुवे के नीचले भाग तक पहुचा और उसी वक्त उन अमानवीय भूतों ने अपने तीखे दांतों से उसकी आत्मा नोचकर खाने लगे । कुमार की डरावनी कहानी सच हो गयी थी ।
पानी के राक्षसी जीवों ने थोड़े वक्त के लिए अपनी भूख मिटा दी ।